संसद ने इसी माह शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल पास करवाया हैं और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद उसने कानून का रूप ले लिया हैं। बिल के कानून बनने के बाद CAA पुरे देश में लागू हो गया हैं। इस कानून का पुरे देश में कही विरोध तो कही समर्थन हो रहा है। देश के कही भागों में तो उग्र प्रदर्शन भी हुए खासकर उत्तरप्रदेश और दिल्ली में। इसके प्रभाव से इंदौर और मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं रह पाया हैं। कई लोगों इसका समर्थन करे रहे तो कही विरोध, सूबे की कमलनाथ सरकार इस कानून का विरोध कर रही हैं। स्वयं मुख्यमन्त्री इसके विरोध में रैलिया कर रहे हैं।
हाई कोर्ट अधिवक्ता संघ, इंदौर |
CAA और NRC के विरोध में कल सुबह खजराना, संयोगितागंज, मल्हारगंज, चंदन नगर बम्बई बाजार सहित 6 स्थानों पर कुछ संगठनों ने विरोध प्रदर्शन कर पुलिस-प्रशासन के अफसरों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा साथ ही इस कानून को वापस लेने की मांग की। हाथों में तिरंगा लिए प्रदर्शनकारियों ने संविधान बचाओ के नारे लगाए। सभी समुदाय के लोगों ने इसमें शिरकत कर देश में एकता और अखंडता की बनाए रखने की कही। मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ कुछ एक हिन्दू संतो भी इसमें शामिल हुए। CAA और NRC के खिलाफ चलाए गए हस्ताक्षर अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोगों ने हस्ताक्षर किए। इंदौर एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र के मुताबिक, शांतिपूर्ण तरीके से बात रखने पर कोई रोक नहीं है। फिर भी एहतियात के चलते 700 जवान तैनात किए थे।
कुछ दिन पूर्व इंदौर के छात्र और हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं ने CAA/CAB के समर्थन में रैलियां की थी
इसी माह 19 दिसंबर को छात्र संघठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कानून के समर्थन में रैली निकली थी। जिसमे पुरे इंदौर शहर के कई छात्रों ने इसमें भाग लिया था। वही इंदौर हाई कोर्ट के कई वकीलों ने भी इस कानून को राष्ट्रीय हित में बताते हुए इसके समर्थन में शांति पूर्ण मार्च किया था। जिसमे उच्च न्यायालय इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दांगी सहित तमाम वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हुए थे।
Abvp इंदौर, CAA के समर्थन में प्रदर्शन करते हुए |
क्या हैं CAB/CAA ?
नागरिकता संशोधन कानून -2019 के द्वारा भारत के पडोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जो 2014 या उससे पहले से भारत में रह रहे हैं उन्हें नागरिकता देने का प्रावधान करता हैं। इसके तहत इन तीन देशो के अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, पारसी, जैन, ईसाई और बुद्ध समुदाय के लोग शामिल हैं।
क्या इससे किसी की नागरिकता जाएगी ?
जैसा गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि यह कानून किसकी नागरिकता लेता नहीं बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धर्म के नाम पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक लोग जो हिंदुस्तान में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं, उन्हें नागरिकता देने की बात करता हैं। भारतीय मुस्लिमो का इस कानून से कोई लेना - देना नहीं हैं।
कौन कर रहा हैं विरोध ?
इस कानून का पुरे देश में विरोध किया जा रहा हैं, असम, उत्तरप्रदेश और दिल्ली में तो उग्र प्रदर्शन भी देखने को मिले। इसका कानून का विरोध खासकर मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जा रहा हैं। उनका आरोप हैं कि इस कानून के द्वारा भारतीय मुसलमान को सेकंड क्लास का सिटीजन बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं। उनकी मांग हैं की इसमें मुस्लिमो को क्यों शामिल नहीं किया ? साथ ही वह सरकार पर धर्म के नाम देश बांटने का आरोप भी लगा रहे।
Protest Against CAA , Indore |
ऐसे में कांग्रेस, आप, ममता बनर्जी, वामपंथी, सपा, बसपा जैसे कई दल इन लोंगो के साथ मिलकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस उड़ीसा के एक नेता तो दंगे भड़काने और पेट्रोल डीज़ल लेकर तैयार रहने की बात तक करे हैं। खुल मिलकर यह सारे दल राजनीति कर हैं। देश के अल्पसंख्यक वर्ग मुस्लिमो को मोदी - शाह के नाम पर डरा रहे हैं। अपने खिसकती राजनीतिक जमींन को बचाने के लिए खुद को मुस्लिमों का शुभचिंतक बताने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस जैसे कई दल जो मुस्लिमो को अपना वोट बैंक समझता थे, मगर पिछले लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने प्रधानमंत्री मोदी का साथ दिया। इससे चिंतित लोक किसी तरह देश के मुस्लिमों को भड़काना चाहते हैं ताकि उनका वोट बैंक बच पाए।
कुल मिलकर यह कानून किसी भी तरह से न तो असंवैधानिक हैं और ना ही किसी भारतीय मुसलमान की नागरिकता छिनता हैं। इस बिल या कानून का किसी भी तरह से मुस्लिमो का कोई लेना देना हैं। जहाँ तक विदेशी या इन तीन देश के मुस्लिमों की बात हैं तो उन्हें भी नागरिकता मिलती रहेगी, जो नागरिकता कानून-1955 में उल्लेखित है।
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