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25/4/20

बात वर्ष 1832 की हैं जब झांसी किले में श्री रामचन्द्र राय को राजा की उपाधि की घोषणा की गई। राजा रामचन्द्र राव ने अपना शासन चलाने के लिए अपने विश्वास पात्र अंगरक्षकों और फौजी सैनिक बाजा शूस विभाग आदि में नए पदों पर दांगी सरदारों की नियुक्ति की स्वीकृति दे दी थी। राजा रामचन्द्र के बाद झांसी की कमान श्री गंगाधर राव को सौंपी गई। गंगाधर राव की किसी बीमारी के चलते मृत्यु हो गई उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी झांसी की अपने नियंत्रण में करना चाहती थी । लेकिन रानी लक्ष्मी बाई ने झांसी किले पर अपना पूरा अधिकार बनाएं रखा। समय को देखते हुए रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी फौज में अपने विश्वास पात्र लोगों को नए सिरे से शामिल किया । जिसमें खासकर मुख्य पदों पर दांगी राजपूतों, पठानों, मेवाती विलायती पुरुषों की भर्ती की । रानी लक्ष्मीबाई ने एक जासूसी विभाग भी बनाया और जिसका प्रमुख नायक बिहारी सिंह दांगी को नियुक्त किया। उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के प्रकाशित मराठी रिसर्च जनरल में लिखा है कि झांसी की लक्ष्मीबाई के गुप्तचर विभाग के प्रमुख और विश्वासपात्र लोगों में से एक थे ठाकुर  बिहारी सिंह दांगी ।


राजा रामचन्द्र राव के शासन काल में सन 1832 में श्री सर जमादार दांगी की नियुक्ति की गई । सर जमादार दांगी 100 सिपाहियों को साथ लेकर राजा रामचन्द्र राव और बाद में राजा गंगाधर राव और बाद में रानी लक्ष्मीबाई की सवारी का जहां कहीं भी भ्रमण होता था वहीं श्री जमादार दांगी अंगरक्षक राजा की सवारी की आगे घोड़े पर चढ़कर चांदी की छड़ी हाथ में लेकर सिपाहियों के साथ चलते थे । श्री सर जमादार दांगी की उन्नाव दरवाजे यानी गेट पर नियुक्ति थी। वहीं दरवाजे के बाहर उन्हें बहुत माफी जमीन का बगीचा मिला हुआ था। उस जमीन और बगीचा का कोई लगान नहीं लिया जाता था। साथ ही सर जमादार जी दांगी को राजा रामचन्द्र राव के आदेश पर उन्हें राजा सैनिक का भी अधिकार प्राप्त  था।

झांसी में एक झरना दरवाजा भी था, यहां करीब 20 दांगी बंधु परिवार निवास करते थे । यह सभी दांगी क्षत्रिय सरदार बंधु झांसी राज्य के विभिन्न - विभिन्न मुख्य पदों पर कार्य करते थे। वर्तमान में जहां आज झांसी रेलवे स्टेशन और कारखाना बना हुआ हैं, वहीं पर आगे ग्राम रामपुरा तक खेती किया करते थे। मटिया के नीचे मसू कोठरी जी दांगी की हवेली थी । वहीं हवेली के पास ओरछा नरेश राजा वीर सिंह जूदेव द्वारा बनाई गई खंड की बावड़ी भी थी। कोठरी दांगी जी राजा रामचंद्र राव के समय से लेकर राजा गंगाधर राव और रानी लक्ष्मीबाई के समय तक खेती कर व अन्य कर वसूल कर राज्य के खजाने में जमा करते थे। कोठरी जी दांगी के एक ही पुत्री रधाबाई थी, जो राम वत्स दांगी संग ब्याही थी। मसू कोठरी जी दांगी को रानी लक्ष्मीबाई के खजाने की तलाश के दौरान गद्दारों ने गोली मर दी थी और वह राज्य के लिए शहीद हो गए।

जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में अंग्रेजो के विरूद्ध झांसी को बचाने के लिए जो संघर्ष हुआ उस संघर्ष में झांसी के आसपास रहने वाले 500 परिवारों में अधिकांश परिवारों ने अपने लोगों को खोया था। आज भी झांसी शहर में दंगियाना मोहल्ला हैं।

सुश्री नंदनी सिंह

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