नाथूराम गोडसे देशभक्त या गाँधी का हत्यारा ?
महात्मा गाँधी कि हत्या के बाद से ही देश में नाथूराम गोडसे को लेकर बहस होती रही, देश का एक बड़ा वर्ग नाथूराम को गाँधी का हत्यारा मानता हैं। कुछ लोग गोडसे को देश द्रोही तक कहते हैं। इस वर्ष महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती सम्पन्न हुई और पुरे देश में महात्मा गाँधी को और उनके कार्यो को याद किया जा रहा हैं। तो फिर कैसे नाथूराम गोडसे की बात न हो ऐसा हो नहीं सकता हैं। गोडसे के बिना गाँधी कि कहानी और देश की राजनीति अधूरी हैं।
नाथूराम गोडसे एक माराठी ब्राह्मण परिवार से थे, शुरुआत में ही संघ से जुड़ गए। राष्ट्रवादी विचारधारा से बहुत प्रभावित थे, उनके जीवन पर स्वामी विवेकानंद, सुभाषचंद्र बोसे, वीर सावरकर जैसे लोगो का प्रभाव देखा जा सकता था। वह एक राष्ट्रवादी होने के साथ - साथ हिंदुत्व के प्रबल पैरोकार थे। उन्होंने ने बाद में संघ को छोड़ दिया और हिन्दू महासभा से जुड़े गए। हिन्दुराष्ट्र नामक पत्रिका का संपादन भी किया और राष्ट्रवादी विचारो से ओत - प्रोत कई आर्टिकल्स भी प्रकाशित किये। बता दे कि वर्ष 1940 में हैदराबाद के तत्कालीन निज़ाम ने गैर - मुस्लिमो यानी हिन्दुओ पर जज़िया कर लगा दिया, जिससे गोडसे विचलित हो गए और उसके खिलाफ समाज के हित के लिए संघर्ष किया। जिसके कारण निज़ाम ने उन्हें और उनके साथियो को जेल में डाल दिया, परन्तु बाद में निज़ाम को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
गाँधी और गोडसे
गोडसे ने खुद एक बार कहा था कि उनके अंदर देश भक्ति की भावना जगाने वाले वीर सावरकर और महात्मा गाँधी हैं। उनका मानना था कि देश को आज़ाद करने में महात्मा गाँधी का योगदान हैं और उनकी भूमिका अग्रणी हैं। नाथूराम गोडसे ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में महात्मा गाँधी का पुरजोर समर्थन किया और बढ चढ़कर भाग लिया। लेकिन जब गाँधी जी ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा कि जिसे लेकर गोडसे सहित कई राष्ट्रवादी और उग्रवादी नेताओ ने गाँधी के इस कदम की निंदा की। स्वयं नेताजी सुभास चंद्र बोस भी निंदा करने वालो में शामिल थे। नाथूराम गोडसे भी गाँधी जी के निर्णय से बड़े विचलित और दुखी हुए।
आखिर गाँधी को क्यों मारा ?
माना जाता हैं कि, भारत - पाक विभाजन के समय भड़के सम्प्रदायक दंगो में कई हिन्दू - मुस्लिम मारे गये, उससे भी गोडसे को घेरा आघात लगा क्योंकि महात्मा गाँधी ने ज्यादा कुछ नहीं किया। कुछ लोगो का यह भी मानना हैं कि आज़ादी के बाद हिंदुस्तान के दो टुकड़े हुए एक मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान बना और हिंदुस्तान एक हिन्दुराष्ट्र बनने कि बजाय एक सेक्युलर मुल्क बना। इसके पीछे भी गाँधी जी कि भी हामी माना जाता हैं।
भारत - पाक विभाजन के बाद भारत सरकार को 75 करोड़ रुपये पाकिस्तान को देने थे, जिसमे से 20 करोड़ पहले ही दे चुके थे, बाकी के बचे 55 करोड़ और देना था। इसी समय पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर हमला किया हुआ था। इस कारण बचे हुए 55 करोड रुपये पाक को देने के पक्ष में न प्रधानमंत्री नेहरू थे और नहीं गृहमंत्री सरदार पटेल। लेकिन महात्मा गाँधी अनशन पर बैठे गए। जिसके कारण नाथूराम को लगा की गाँधी हमेशा अनशन के नाम पर हिन्दुओ के साथ सिर्फ धोका हुआ। यही से गाँधी और गोडसे में वैचारिक मतभेद आपसी रंजिश में बदल गए।
महात्मा गाँधी ३० जनवरी १९४८ को दिल्ली के बिड़ला मंदिर में प्रार्थना सभा को सम्बोधित करने जा रहे थे, उसी समय नाथूराम गोडसे गाँधी जी के सामने गए और नमस्ते बापू कहा। फिर बिना देर किए अपनी पिस्तौल से ३ गोलिया गाँधी के सिने में दाग दी और स्वयं पुलिस को सरेंडर कर दिया। अब सवाल यह हैं कि नाथूराम गोडसे ने गाँधी की हत्या कर दी तो वह देश द्रोही हैं या गाँधी का हत्यारा या फिर राष्ट्रभक्त ? हर भारतीय के लिए राष्ट्र सर्वोपरि हैं और कोई भी राष्ट्र से ऊपर नहीं हैं, चाहे फिर और महात्मा गाँधी हो या नाथूराम गोडसे। नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी की हत्या कि हैं इसलिए वह गाँधी जी का हत्यारा हैं। हत्या के दोष में उसे 8 नवंबर 1948 को न्यायपालिका ने फांसी की सजा सुनाई जिसके फलस्वरूप गोडसे को 15 नवंबर 1948 को महात्मा गाँधी के पुत्रो के मना करने के बाद भी फांसी दे दी गई। गोडसे से ने मानव हत्या का अपराध किया, जिसका फल उसे मिला हैं।
लेकिन सवाल यह हैं, कि क्या महात्मा गाँधी कि हत्या कर देने से नाथूराम गोडसे की देशभक्ति समाप्त हो जाती हैं? गोडसे ने गाँधी जी कि हत्या के पहले जो राष्ट्र हित में कार्य किये क्या वह सब शून्य हो जाते हैं? क्या कोई किसी कि हत्या आपसी रंजिश में कर देता हैं तो क्या वह देश द्रोही हो जाता हैं और अगर ऐसा हैं तो भारत में लाखो लोग हैं, जिन्होंने लाखो लोगो कि हत्या कि हैं, फिर तो वो सारे देशद्रोही हैं। अगर गाँधी की हत्या से गोडसे देशद्रोही हो जाता हैं तो क्या पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी कि हत्या करने वाले लोगो देशद्रोही नहीं हैं ? फिर देश कि सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस राजीव गाँधी के हत्यारो का समर्थन करने वाली तमिलनाडु कि एक पार्टी से हाथ मिलाती और साथ चुनाव लड़ती हैं। अगर यह देश द्रोह नहीं हैं तो फिर गोडसे का समर्थन करने वाले लोग कैसे गलत हो सकते हैं।
अंतत मेरा मानना हैं कि, गाँधी जी हत्या करने वाला गोडसे एक हत्यारा हैं जिसने अपने निजी स्वार्थ के चलते गाँधी को नहीं मारा बल्कि वैचारिक मतभेदों के कारण। फिर भी वह हत्यारा हैं, मगर देश भक्त भी हैं। देश में नाथूराम गोडसे के एक पक्ष को ही बताया जाता रहा हैं लेकिन उसके दूसरे पक्ष यानी गाँधी जी कि हत्या से पूर्व पर भी चर्चा करने कि भी जरुरत हैं। अब जरुरी यह हैं की आप उसे किस नज़रिये से देखते हैं।
Good article
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