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3/6/20

आपका जन्म किसी विशेष कारण के लिए हुआ हैं वह हैं आपकी सफलता। सफलता पर आपका जन्मसिद्ध अधिकार हैं और इस अधिकार को आप से कोई नही छीन सकता, कोशिश करते रहिये कामयाबी जरूर मिलेगी ।

यह शब्द हैं देश चर्चित, युवाओं के प्रेरणा पुंज आईपीएस रतन लाल डांगी के ।

      Voice of India Ratan Lal Dangi IPS

कहते हैं कि, प्रतिभा किसी संसाधन की मोहताज नहीं होती है बल्कि परिस्थिति और समस्या को अपनी ताकत बना कर अपने सपनों की उड़ान भरने लग जाती हैं। जिसके आगे सफलत भी कदम छूने लगती हैं। एक ऐसी ही कहानी राजस्थान के छोटे से गांव से निकलकर देश चर्चित धार्मिक नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी रतन लाल दांगी की। आईए जानते हैं उनके बार में...

प्रारंभिक जीवन

आईजी रतन लाल डांगी का जन्म राजस्थान के नागौर जिला स्थित एक छोटे से गांव मालास के मजदूर परिवार में 1 अगस्त 1973 को हुआ था । यह पिता श्रवण लाल और माता श्रीमती भंवरी देवी डांगी की सबसे छोटी संतान हैं। आप चार भाई - बहिन हैं।

रतन लाल डांगी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव स्थित सरकारी स्कूल से प्राप्त की जबकि उच्च प्राथमिक शिक्षा (6 से 8) गांव से 4 किमी दूर स्थित पीपलाद में हासिल की। उन्होंने उच्च माध्यमिक शिक्षा परबतसर में प्राप्त की। डांगी ने 12 वीं साइंस मैथ्स में किया। डांगी पढ़ने में शुरू से ही होशियार थे इन्होंने अपनी क्लास में हमेशा टॉप किया ।

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सरकारी स्कूल में पढ़कर बने आईपीएस अधिकारी

आईजी रतन लाल डांगी बचपन से ही पढ़ने में मेहनती थे और मजदूर परिवार से आने के कारण कुछ करना चाहते थे। गांव से निकलकर उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिनतम परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सेवा परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बने। डांगी ने उन सारी भ्रांतियों को तोड़ दिया कि सफलता के लिए बड़े स्कूलों व शहरों में पढ़ना या रहना जरूरी हैं। अगर आप ईमानदारी से कड़ी मेहनत करते हैं तो ग्रामीण परिवेश में पढ़े - पले बच्चे भी देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर सकते हैं। डांगी के माता - पिता शिक्षित नहीं होने के बाद भी उन्होंने अपने लाल कि शिक्षा में कोई कमी नहीं रखी । यह भी साबित कर दिया कि शिक्षित मां- बाप ही नहीं बल्कि  अनपढ़ के बच्चे भी जीवन में अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।

अपने पुलिस कर्मियों के साथ चर्चा करते हुए
साभार Facebook

वॉइस ऑफ इंडियन से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि किसान मजदूर परिवार से होने के कारण कई बार मजदूरी भी करनी पड़ी लेकिन विषम परिस्थितियों को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि शक्ति बनाया। वह बताते हैं देश की सर्वोच्च सेवा तक पहुंचना उनके माता - पिता के आशीर्वाद और पत्नी के सहयोग बिना संभव नहीं था

आईजी डांगी अपने जीवन में आदर्श के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर, अब्राहम लिंकन व नेल्सन मंडेला को मानते हैं जिन्होंने स्वयं अपने दम पर अभावों से लड़ते हुए सफलता पाई थी। डांगी समानता,स्वतंत्रता व बंधुत्व के समर्थक महात्मा बुद्ध, ज्योतिबा फूले व कबीर को अपना मार्गदर्शक मानते हैं।

आईपीएस बनने से पहले भी कई परीक्षाओं में सफलता हासिल की

डांगी ने कॉलेज के साथ ही टीचर्स ट्रेनिंग करके 20 वर्ष की आयु मे ही शासकीय स्कूल में टीचर के पर ज्वाइन कर लिया । साथ में ही प्राइवेट विधार्थी के रूप मे बीए ,एम ए (राजनीति विज्ञान),मे एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर से किया। आईपीएस डांगी नेट व स्लेट जैसी कठिन एंट्रेंस टेस्ट भी क्लाफाई किया था। कुल मिलाकर 6 वर्ष तक शिक्षक रहे , फिर राजस्थान पीएससी द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में चयन हो गया और टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई, इस पद पर मात्र 2 साल ही रहे । दुबारा पीएससी दी और नायब तहसीलदार बनकर इस पद पर भी दो साल ही रहे । सितम्बर 2003 मे भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए। आपने अंतिम प्रयास में अखिल भारतीय 226 रैंक हासिल करके अपने लक्ष्य तक पहुंचने मे कामयाब रहे। डांगी को छत्तीसगढ़ कैडर में सेवा देना का मौका मिला ।

नक्सलियों से सामान जब्त कर सरेंडर करते हुए
साभार : फेसबुक

विभिन्न पदों पर दी सेवाएं

IPS बनने के बाद, छत्तीसगढ़ कैडर में रहते हुए एसडीओपी कांकेर, एसपी बीजापुर, कांकेर, कोरबा,बस्तर, बिलासपुर डीआईजी कांकेर, दंतेवाड़ा व राजनांदगांव पदस्थ रहे है।  वर्तमान मे पुलिस महानिरीक्षक(आईजी) सरगुजा रैंज के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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नक्सल प्रभावित इलाकों में सेवा देते हुए युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्त्रोत

डांगी ने छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवा ही नहीं दी बल्कि के जिम्मेदार अधिकारी के तौर पर रास्ता भटक गए युवाओं के लिए प्रेरणा का काम भी किया । उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के युवाओं को हथियार डाल कर कलाम उठाने का महत्व समझाया । डांगी की इन्हीं प्रेरणादायक बातों से प्रभावित होकर कई नक्सलियों ने हथियार डाल आत्म समर्पण कर दिया और आज वह बेहतर ज़िन्दगी जी रहे हैं। वह बच्चों से पहले उनके मां - बाप को शिक्षा का महत्व समझने का प्रयास करते हैं और उन्हें सलाह देते हैं कि आप अपने बच्चों को नजदीकी स्कूलों में दाखिला दिलाए। उनका मानना है कि रोटी के बाद जीवन में शिक्षा अहम हैं जो हमें जीवन के उच्चतम शिखर तक ले जाती हैं।

ड्यूटी के दौरान आम जन के बीच आईजी डांगी
साभार: फेसबुक

आईजी रतन लाल डांगी का कहना है कि, "आज अगर मेरा बेटा सफलता पाता है तो उसका उतना अधिक महत्व नहीं है।  परन्तु यदि किसी किसान व मजदूर का बेटा IAS,IPS व अन्य किसी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता हैं तो वह एक उदाहरण पेश करता है।"

डांगी का मानना हैं की अगर आप सफल होंगे तो हर व्यक्ति साथ होगा, लेकिन असफलता के पल में वह आपका सबसे बड़ा करीबी ही साथ होता है। उनका कहना है कि सफलता ऐसी हो जिसे सबके साथ बाँट सकें। केवल सफल होना ही काफी नहीं है उसकी सार्थकता क्या है , हम अपने समाज व देश के लिए क्या दे रहे हैं ,बड़ी जिम्मेदारी है इन सबको समझना भी जरूरी हैं। सफलता का रास्ता शिक्षा से होकर ही गुजरता है, बिना शिक्षा के मनुष्य पशु तुल्य हो जाता है और इसलिए जरूरी है कि हम बेटे और बेटी में फर्क /भेदभाव किए बिना बच्चों को स्कूल भेजें।

आईजी डांगी इसी के साथ ही वो कॉलेज एवं विद्यालय के पुस्तकालय को उपयोगी व जरूरतमंद पुस्तकों से भरने के लिए भी मुहिम चलाएं हुए हैं। इस पहल की शुरुआत उन्होंने अपने ही निज गांव के सरकारी विद्यालय से की, जहाँ से डांगी ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी। अपने स्कूल में उन्होंने पुस्तकालय का निर्माण करवाया और पुस्तकें भी उपलब्ध कराई । इसके साथ ही कमजोर एवं ग्रामीण तबके के बच्चों की मदद के लिए हरसंभव तैयार मिलते हैं।

बच्चों को किताबे वितरित करते हुए
साभार: facebook

आईजी डांगी वर्तमान में एक महत्वपूर्ण मिशन पर कार्य कर रहे हैं। वह देश और समाज के युवाओं को मार्गदर्शन देने के लिए मिशन “Guide the Youth, Grow the Nation ” भी चला रहे हैं। जिसके माध्यम से युवाओ को सही दिशा में चलने मे मदद मिल रही हैं । इसके साथ -   साथ साइबर क्राइम पर भी जागरूकता अभियान चलाते है।

गाइड दी यूथ - ग्रो दी नेशनल के तहत दांगी प्रवाह के भोपाल कार्यक्रम में
साभार: Facebook

आईजी डांगी को नक्सली और माओवादी क्षेत्र मे उल्लेखनीय कार्यों के लिए भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल द्वारा दो बार “पुलिस वीरता पदक“से सम्मानित भी किया जा चूका है। 

इसके अलावा पुलिस अधिकारी के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य के महामहिम राज्यपाल के हाथों भी सम्मानित किया जा चुका है।

युवाओं को डांगी का संदेश संदेश 

आईजी डांगी ने वॉइस ऑफ इंडियन के माध्यम से युवाओं के लिए सन्देश देते हुए कहा कि "आप युवा लोग जन्म से ही जिनीयस है, आपके जैसा दूसरा नहीं है।" सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है।आप इस दुनिया मे सफल होने ही आए है,आपको कोई असफल नहीं कर सकता।जब तक आप खुद असफल नहीं होना चाहते।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह सफलता मिलेगी कैसे।,क्या करना होगा इसके लिए, क्या क्या योजनाएं बनानी होगी सफल होने के लिए।

सफलता पाने के भी मूलमंत्र होते है।

यदि सफलता चाहते हो तो उठो,जागो और चल दो अपनी मनपसंद लक्ष्य की ओर और तब तक मत रूको जब तक सफलता प्राप्त न हो जाएं।

हो सकता हैं कि आप पहली बार मे सफल न हो पाएं हो लेकिन निराश होने की जरुरत नहीं है,धैर्य के साथ पुनः अपनी तैयारी में जुट जाएं।असफलता भी सफलता का ही हिस्सा है।इतिहास मे कितने वैज्ञानिक होंगे जो कितनी बार अपने प्रयासों मे असफल रहे होंगे, लेकिन उन्होंने  हिम्मत नहीं हारी ।और दुनिया को नई नई चीजे देकर गए है।

"जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते।" लोग अपनी गरीबी व परिस्थितियों का रोना रोकर अपनी असफलता का ठीकरा अन्यो पर फोड़ देते हैं।अगर किसी काम मे असफल हो भी गए हो तो क्या हुआ ये अंत तो नहीं है ना ,फिर से कोशिश करों,क्योंकि कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है।

आलोचना से मत घबराइएगा।धैर्य व संयम बनाए रखना होगा।आपके पास खोने को कुछ नहीं है लेकिन पाने को बहुत कुछ है।लगे रहे,लगे रहे ,लगे रहे। निश्चित ही सफल होगे ।

वॉइस ऑफ इंडियन, आईजी रतन लाल डांगी के संघर्ष एवं सफलता को नमन करता हैं और उम्मीद करता हैं कि आप से प्रेरणा लेकर राष्ट्र के युवा IAS एवं IPS, IRS अन्य अधिकारी आदि बनने के लिए आप से प्रेरित होंगे।

Story Coverd by Devraj Dangi


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