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7/7/20

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर गतिरोध जारी हैं, पिछले काफी दिनों से दोनों देश की सेनाएं गलवान वैली में  आमने - सामने हैं। हालाँकि खबर आई हैं की चीन सीमा पर शांति चाहता हैं और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी सेना सरहद से २ किमी पीछे हट गई हैं, लेकिन चीनी पर भरोसा नहीं किया जा सकता हैं।  इंडो - चाइना के बीच जारी तनाव के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने बड़ा ऐलान  कर दिया हैं। अमेरिका का स्पष्ट कहना हैं कि अगर भारत - चीन के बीच सरहद विवाद को लेकर युद्ध होता हैं तो अमेरिकी सेना भारत के साथ खड़ी होगी और US  आर्मी इंडियन आर्मी का साथ देगी।


अमेरिकी व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ मार्क मीडोज ने एक सवाल के जवाब में ‘फॉक्स न्यूज’ को बताया, ‘संदेश स्पष्ट है। हम खड़े होकर चीन को या किसी और को सबसे शक्तिशाली या प्रभावी बल होने के संदर्भ में कमान नहीं थामने दे सकते, फिर चाहे वह उस क्षेत्र में हो या यहां।’ अमेरिकी नौसेना द्वारा क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए दक्षिण चीन सागर में दो विमान वाहक पोत तैनात किये जाने के बाद अधिकारी का यह बयान आया है। व्हाइट हाउस ने साफ कहा कि वे चीन को एशिया में दादागिरी करने नहीं दे सकते। व्हाइट हाउस के इस ऐलान के कुछ ही देर बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने ट्वीट कर कहा कि चीन के कारण अमेरिका और बाकी दुनिया को भारी नुकसान हुआ हैं।



यही नहीं राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसके साथ ही एक और ट्वीट कर कहा कि ‘चीन के कारण अमेरिका और बाकी दुनिया को भारी क्षति पहुंची।’ कोरोना वायरस महामारी के कारण अमेरिका, पूरे यूरोप और भारत समेत दुनिया के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को लगभग थम सी गई हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प ने सवाल किया कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में शुरुआती दौर में ही जानकारी क्यों नहीं दी और पूरी दुनिया में इस वायरस को फैलने दिया?

आपको जानकारी बताते कि चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में लगातार गतिरोध की स्थिति पैदा कर रहा है। ड्रैगन लगभग पुरे दक्षिण चीन सागर पर  अपना दावा करता है। चीन के अपने सभी पडोसी देश जैसे वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के भी क्षेत्र को लेकर उसके दावे हैं। इस समय कूटनीतिक मोर्चे पर भारत भी चीन को घेरने के लिए तैयार हैं । भारत, दक्षिण चीन सागर, हॉन्गकॉन्ग, वन रोड वन बेल्ट परियोजना के प्रति विरोधी रुख जारी रहेगा। भारत कोरोना व अन्य मामलों में चीन को अलग-थलग करने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। इंडिया भी यह स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि वह तनाव पैदा करने की स्थिति में उसके लिए वैश्विक स्तर पर परेशानी पैदा करने के किसी विकल्प को जाने नहीं देगा।

जैसा कि विदित हैं कि  भारत और चीन के सैनिकों के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग सहित पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में 8 हफ्तों से गतिरोध जारी है। विगत 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद स्थिति और बिगड़ गई। हालांकि चीनी सेना ने गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग से सोमवार को अपने सैनिकों की वापसी शुरू कर दी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को टेलीफोन पर बात की जिसमें वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों के ‘तेजी से’ पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने पर सहमति बनी हैं। 

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